जातिवाद का जन्म 🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳

जातिवाद क्या होता है या इसका जन्म कैसे हुवा?

इस विषय पर भी मै बिल्कुल आम भाषा का इस्तेमाल करना पसंद करूंगा ताकी ठीक से समझा स्कू की असल मे जातिवाद का जन्म कहा से हुवा और रंग भेद कैसे आया समाज मे

नोट – हम कोई दावा नही कर रहे है, बस अपना अनुभव साझा कर रहे है।

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तारीख है 5 मई रात के 11:37 हो चुके है जब मैने अपना ये ब्लॉग लिखना शुरू किया है।

अभी थोड़ी ही देर पहले एक ब्लॉग पूरा किया पर फिर भी नींद नहीं आई तो अब ये नया ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया

अब आगे

मैं इस विषय पर क्यों लिख रहा हु?

देखिए ऐसा है की जातिवाद का बहुत गहरा रिश्ता सा होता है, प्रेरणा से

कैसे?

आइए विस्तार से समझे

देखिए आपमें से ज्यादातर लोग इस चीज के शिकार या तो हुवे होंगे या लगातार हो रहे होंगे

आज कल ये बेहद आमतौर पर देखा जाने लगा है और ये बेहद शर्म की बात है की हमारे देश मे जहा सबको बराबरी का हक सम्मिधान में दिया गया उसके बावजूद यहां इस तरह की चीजों पर रोक नही लग सकी है आजतक

ये तो फिर भी एक बात है इसके अलावा जाति सूचक गाने भी बनने लगे है।

और हद तो तब हो जा रही हैं जब राजनीतिक पार्टियां भी जाति के आधार पर बन जा रही है और खुलेआम जातिवाद चल रहा है।

खैर पहले ये समझिए की प्रेरणा से जातिवाद का क्या रिश्ता है और मैं इस विषय पर क्यों लिख रहा हूं

देखिए ऐसा है की जातिवाद कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के साथ जब करता है तो उसके पीछे कारण केवल इतना होता है की सामने वाले को नीचा दिखाना

नोट – ये जरूरी नहीं है की जिस व्यक्ति का उपहास हो रहा है वो किसी निचले वर्ग का ही हो, व्यक्ति किसी भी वर्ग का होसकता हैं

नीचा दिखाने की जब कोई कोशिश करता है किसी को भी तो असल मे वो अहंकार को जन्म दे रहा होता है खुद के भीतर

जिससे बुरी आदतों की पहली शुरुवात भी कह सकते है आप

कैसे? – आपने देखा होगा छोटे छोटे बच्चे जब आपस मे झगड़ जाते है तो सबसे पहले जाति सूचक शब्द का प्रयोग गाली की जगह पर करते है, ज्यादातर गांव में मैने ऐसा देखा है।

मैने इस विषय पर गौर करना शुरू कर दिया

बहुत सोचने समझने के बाद मेरी समझ आया की असल मे इसकी शुरुवात तो जाने अंजाने मे मां बाप ही करते है।

कैसे?

इंसान और जानवर मे फर्क बता कर

इसे ऐसे समझिए

जब बच्चा छोटा होता तो वो तो पूरी तरह से अबोध बालक है, उसे उसके मां बाप ही तो बताते है की इंसान और जानवर मे ऊंच नीच का फर्क होता है,

जबकि उसे जीवन का कद्र बताना चाहिए क्योंकि जीवन के महत्व को समझेगा तभी तो ऊंच नीच का भेद भाव खतम कर एक शांति और प्रेम से प्रेरित जीवन की शुरुवात कर पाएगा

सही मायने में हर बच्चे को क्रूर तो उसके मां बाप जाने अंजाने मे बना रहे है न

इसका एक उदाहरण देखिए

एक बच्चे को पोषक तत्व तो साकाहारी भोजन से आसानी से मिल्सकता है फिर जब आप उसे मास खिलाएंगे तो उसकी समझ ही न विकसित करेंगे की उसे जब भूख लगेगी तो वो अपने संतोष मात्र के लिए किसी जीव की हत्या कर सकता है

ऐसी चीजों की वजह से उसके अंदर की दया को सबसे पहले हानि तो आप ही न दे रहे है

ऐसी चीजों के बजाय हम अगर उसे ये सिखाए की दया धर्म है, तो क्या उसके अंदर जातिवाद इतनी आसानी से जन्म ले सकता है जितनी आसानी से आजकल ये देखने को मिल रहा है।

मेरे कहना का ये मतलब बिलकुल नहीं है की सच मे इंसान और जानवर मे कोई फर्क नही है

मैं सिर्फ इतना बताने की कोशिश कर रहा हु या यू कहे की समझाने का प्रयास कर रहा हु की जीवन के महत्व को अगर समझना है तो ये ठीक चीज बिलकुल नहीं है, बल्की जीवन का मूल मंत्र, मूल सिद्धांत जियो और जीने दो होता है।

जीवन का मूल्य सबका एक समान होता है क्योंकि सबको ईश्वर ने ही बनाया है न

इसे ऐसे समझिए की अगर आपने बहुत मेहनत कर के कोई वस्तु बनाई है और अचानक वह गिर कर टूट जाए या की खो जाए तो आपको तकलीफ तो होगी न बुरा तो लगेगा ही

ठीक उसी तरह हमसबका जीवन ईश्वर ने अपने हाथो बनाया है हम सभी उसी के बच्चे है तो जब हम बिना वजह उनकी बनाई चीजों को तोड़ेंगे या उन्हे नुकसान पहुचाएंगे तो उन्हे भी तो तकलीफ होगी न

अब आप मे से कुछ लोग ये जरूर कहेंगे की अगर न खाए तो पूरी दुनिया की इतनी बड़ी आबादी है लोग क्या खाएंगे

ध्यान रहे की जिन जीवो को मारकर हम खाते है वो भी बिना राशन के बड़े नही होते बल्की वे तो हम लोगो से भी कही अधिक भोजन करते हैं

क्योंकि उनकी आबादी ज्यादा है।
हम इंसानों की आबादी 800करोड़ हैं समझिएगा और हम उन्हे रोज खाते है फिर भी उनकी आबादी में कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि अपने इस्तेमाल के हिसाब से हम उन्हे पैदा करते रहते है।

अंत मे मै यही कहना चाहूंगा की

जब कोई छोटा बच्चा किसी कुत्ते को पत्थर मारता है और उसके मां बाप उसे ऐसा करने से रोकते नही है या इस चीज के लिए उसे डाट नही लगाते तो वे जातिवाद और रंग भेद को बढ़ावा दे रहे होते है,

याद रखिए अपने बच्चो की छन भर की खुशी के लिए उसके मुस्कुराते चेहरे के लिए आप उसके पूरे जीवन मे जहर घोल रहे है।

जातिवाद की भावना से जन्मा रक्ष्स उसके अंदर के कोमल और निर्मल भाग को खा जायेगा और तब वो कभी एक नेक और अच्छा इंसान नही बन पाएगा।

दया धर्म है, जियो और जीने दो का सिद्धांत अपनाए तभी अहंकार का अंत होसकेगा कम से कम उसके पतन की शुरुवात तो अवश्य होगी।

धन्यवाद 🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳 जय हिन्द

4 thoughts on “जातिवाद का जन्म 🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳”

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