मां बाप के फैसले कितने सही और कितने गलत होते हैं।

मां बाप हमारे लिए भगवान का दूसरा रूप होते है, लेकिन क्या इसका मतलब ये होता है

की वे गलती नही कर सकते तो मै कहूंगा जी नही गलती उनसे भी हो सकती है और होती भी है

जैसा की आप जानते हैं वह भी इंसान है और इंसान तो गलतियों का पुतला होता है, और होना चाहिए भी क्योंकि हम गलतियों से ही तो सीखते है।

अब आपमें से कुछ पाठको के मन मे विचार आया होगा की

ये मै कैसे कह सकता हु की मां बाप गलत होते है या हो सकते है, या ये की क्या मुझे ऐसा बोलना चाहिए,

क्या मैं अपनी बाते साबित कर सकता हु

 

मेरा जवाब होगा

जी हा

इसे कुछ इस्त्रह से समझिए की आपमें से ज्यादातर लोगो के माता पिता पढ़ाई के लिए विशेष कर प्रेरित क्यों करते हैं।

क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है की पढ़ाई ही सबकुछ है, मैं ऐसा नही कह रहा हु की पढ़ाई का कोई महत्व नहीं है लेकिन वो ऐसा कहते है जैसे सिर्फ पढ़ाई से ही सबकुछ होता है बिना आपके गुड और दोष की परख किए

आपको बिना समझे वो बस अपने जीवन के सिद्धांतो और मूल्यों को आपके ऊपर थोप देते है

और उनकी इसी कमी के कारण ज्यादातर बच्चे वो सफलता प्राप्त नही कर पाते है

जिसके वे काबिल होते है

ऐसा नही है की मां बाप हमारी सफलता नही चाहते या हमे ऊंचे मकाम पर जाते नही देख सकते या देखना चाहते हैं, बल्की उनसे बेहतर हमारा हित सोचने वाला हमारे लिए कोई और नही होस्कता लेकिन हमे याद रखना चाहिए की दुनिया का हर मनुष्य जितने बेहतर तरीके से खुद को समझ सकता है, उतना और कोई नहीं समझ सकता इसका एक उदाहरण देखिए

मां कैसे जानती है की उसका दो दिन का बच्चा भूखा है, जाहिर है बच्चा रोता है तभी तो

कहने का तात्पर्य ये है की आज भी हमे जब भूख लगती है तो उसका एहसास सबसे पहले हमे ही होता है तभी हम खाना खाते हैं या खाने की बेवस्था करते हैं।

इस बात से ये साबित होता है की हमसे बेहतर हमे कोई नही जानता है और न जानस्कता हैं।

अब आगे

इस चीज को दरकिनार कर मां बाप अक्सर अपने फैसले अपने बच्चो पे लाद देते हैं या यू कहे थोप देते है,

ये थोड़ा कड़वा अवश्य लग सकता है परंतु सच है।

इसे विस्तार से समझे कुछ उदाहरणों के साथ

मैने अपने पिताजी को अक्सर मुझसे ये कहते हुवे सुना है की जितनी खराब परिस्थितियों मे मैने पढ़ाई पूरी की और सफल व्यक्ति बना हु तुम होते तो नही कर पाते या आजकल के लड़को से नही होपाएगा।

देखिए ऐसा नहीं की वे झूठ कह रहे हैं या मुझे उनकी बातो पे भरोसा नही है।

लेकिन ये बात भी तो देखिए की तब जमाना इतना आधुनिक कहा था इतना कंप्टीशन कहा था, मानता हूं की तब रोजगार के अवसर भी कम थे परंतु एक बहुत बड़ी आबादी तो केवल खेती बारी पर निर्भर करती थी वे चाहे मजदूर बनकर निर्भर रहे या किसान लेकिन निर्भरता इसी पर ज्यादा थी।

ऐसा नही है की चीज़े तब आसन थी और आज मुस्कील है नही तब भी मुस्कील थी आज भी है

लेकिन कहना ये चाहता हूं की जिस रास्ते पर आप चलकर आए हैं उसी पर अपने बच्चो को चलाने से या उससे मिलते जुलते रास्ते पर चलाने से क्या आप उसकी सोच को एक दायरे मे बांध नही रहे है। विचार करे

 

जैसे – सरकारी नौकरी वाले पिता आपने की बच्चे को अधिकारी बनाना चाहते हैं।

तो असल मे आप इस बात को दरकिनार कर रहे हैं की वो इससे बेहतर है, होस्कता हैं वो बहुत अच्छा गायक हो , खिलाड़ी या वैज्ञानिक कुछ भी होस्कता हैं,

ज्यादातर लोगों में मैने देखा है अपने बच्चे के गुण को देखे बिना ही उसका लक्ष्य निर्धारित कर देते हैं की वो क्या बनेगा और बार बार प्रेरणा देते है की बस उसी लक्ष्य को हासिल करना है तुम्हे ,

परिणाम स्वरूप कुछ बच्चे लक्ष्य प्राप्त करते हैं कुछ आत्महत्या करते हैं और कुछ जीवन भर असफल कहलाते है।

ऐसा नही की जो बच्चे आत्महत्या करते हैं वे कमजोर है जी नही वे भी काबिल है और सायद सफल बच्चे से ज्यादा काबिल है परंतु वे अपने मां बाप के गलत फैसले का शिकार होजाते है।

क्या करना चाहिए – उनके गुणों की परख करना आवस्यक है और माता पीता की जिम्मेदारी भी

ध्यान दें जिस चीज मे वो बेहतर कर सकता है उसे बढ़ावा दे, उस पर ध्यान दे, उसे निखारे

याद रखे की दबाव हमारे आत्मविश्वास को कम करता है।और बिना आत्मविश्वास के जीवन सफल नही होस्कता

 

अंत मे मै यही कहना चाहूंगा कि

हर इंसान को अपने रास्ते बनाने या चुनने का पूरा हक होता है तो अच्छे मां, बाप  केवल सलाहकार की भूमिका मे रहे तो बेहतर होगा ऐसा करने से बच्चा अपनी गलती भी आपको अवश्य बता पाएगा तब आप उसे बेहतर सुधार भी पाएंगे।

 

ऐसा हमे हमारे हर रिश्ते के साथ करना चाहिए भाई, बहन,मां , पीता या पत्नी कोई भी हो केवल सलाहकार की भूमिका में रहने पे हम अपने किसी भी रिश्ते को आजादी मेहसूस करा पाते है।

नोट –  मानसिक आजादी के बिना मानव जीवन बेहतर विकाश की कल्पना कभी नही कर सकता

 

अगर बेहतर सफलता की उम्मीद अपने बच्चे से आप भी करते हैं तो कृपया उसे मानसिक तनाव से दूर रखे वो अगर किसी इंतिहान में असफल हो तो उसे प्रेरणा दे

न की उसे डराए (डर ही उसके रास्ते की बाधा है अगर वो केवल आपकी इज्जत करे आपसे डरे नहीं तो वे अपनी सारी गलतियां भी आपको अवश्य बताएंगे आपको पता लगाने की कोई जरूरत नही होगी और तब आप बेहतर सुधार भी करसकते है और बेहतर नतीजे भी हासिल कर सकते है)

अगर आप उसे प्रेरणा देकर लगातार सही दिशा में प्रयास करने के लिए और चलते रहने , कभी हार न मानने के लिए  कहेंगे तो वे एक दिन अपने मकाम को आवश्य ही हासिल करेंगे।

उनकी गलतियों पर उनसे बात करे उनकी बाते सुनने की कोशिश करे न की खुद की बाते सुनाने की। याद रखिए किसी को समझने का सबसे आसान तरीका उसे सुनना होता है।

 

 

धन्यवाद 🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳जय हिंद

 

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