खुद की समझ

खुद की समझ

“अगर आप किसी और के जीवन मे उजाला करेंगे दीप जला कर तो यह आपके रास्ते को भी रोशन करेगा जरूर।”~ ये गौतम बुध जी के विचार है।

देखिए प्रेरणा की बात हो या किसी अन्य कार्य की अगर आप कुछ पाना चाहते है तो उसके लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा न ऐसा तो है

नही की बस सोच लेने से कुछ भी हो जायेगा और अगर ध्यान देंगे तो आप सब भी ये मेहसूस करेंगे की सोचने के लिए भी सोचना पड़ता है, मतलब दिमाग चलाना पड़ता है इस बात की सार्थकता को समझिए

सीधे तौर पे कहे अगर तो जो खुद को निक्कमा समझ रहे है वे भी असल मे आप सोच मे डूबे व्यक्ति होते है।

हमारी तेज़ रफ़्तार, हमेशा चालू रहने वाली दुनिया में, जानकारी तक पहुंच पाना मुश्किल नहीं है। यह आपके पास बहुत तेज़ी से आती है। कोई लेख या ब्लॉग पोस्ट,, न्यूज नेटवर्क भी – कुल मिला कर विचार करने के लिए विचारों की कभी कमी नहीं होती।

ज्ञान प्राप्त करना कोई समस्या नहीं है। आमतौर पर हमे अपने आसपास से भी कभी कभी बेहद गहरा या अच्छा ज्ञान मिल जाता है पर दूसरी ओर, इसे अपने जीवन मे लागू करना बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण है, खासकर जब आप इस बात पर विचार करते हैं कि हमारे व्यस्त दिनों में रुकने, सांस लेने के लिए हमारे पास कितना कम समय होता है।

आस पास से के माहोल से मिलने वाली प्रेरणा का सबसे आसान उदाहरण – जंग में परास्त होकर गुफा मे बैठे एक राजा थे जो मकड़ी को बार बार ऊपर चढ़ने की कोशिश करते हुए देख कर प्रेरणा लिए और फिर से प्रयास मे लग गए। हार या जीत मायने नहीं रखता कई बार हमारे प्रयास सफलता नही दिला पाते लेकिन फिर भी इतिहास बना देते है।

जैसे एक और उदाहरण देखिए केशरी फिल्म के ईश्वर सिंह जी का जो शहीद तो होगए अपने बीस साथियों के साथ लेकिन अपने मजबूत प्रयास और दृढ़ संकल्प के बल पर दुश्मनों को न सिर्फ आगे बढ़ने से रोक दिया बल्की वीरगति से कुछ पल पूर्व अपने दुश्मनों से भी सम्मानित हुवे और उनकी पगड़ियां किसी ने छेड़ी  ऐसा नही की वो ऐसा नही कर सकते थे परंतु ईश्वर सिंह और उनके साथियों का प्रयास और बलिदान देख कर उन सभी 21 सीखो के सम्मान मे उन्होंने ऐसा नही किया।

इस लिए मेरा मानना है की एक सफल जीवन का सबसे बड़ा आधार है प्रयास न छोड़ना भले ही हम लाख प्रयास के बाद विफल हो लेकिन हम रुकेंगे नही, अपने दिल की मत सुनो अपने दिल के नक्शे कदम पे चलो

कैसे – हमारा दिल क्या करता है आपने कभी ध्यान दिया है, अगर ध्यान से देखा जाए तो ये वो छोटा सा हिस्सा है हमारे शरीर का जिसके रुक जाने से हमारी जीवन यात्रा समाप्त होजाती है। ये हमे जीवित रखने के लिए बिना आराम किए लगातार चलता है, बल्की मरने के बाद तक चलता रहता है।

हम चाहे जिस भी लम्बाई चौड़ाई के हो लेकिन आकार में छोटा होने के बावजूद ये हमे जिंदा रखने का काम करता है।तो क्यों न हम भी इसकी तरह बने या बनने की कोशिश करे

और प्रयास कभी न छोड़े अपनी आखरी सांस तक अपनी असफलता से लड़ते रहे ताकी भले ही हम सफल न होस्के लेकिन हमारे प्रयास एक मिसाल बने।

 

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हम सरल ज्ञान पर चिंतन करने और इसे हमारे जटिल जीवन में लागू करने के नए तरीके सीखने के बारे में बात करेंगे – जिसमें जिम्मेदारियां, संघर्ष, सपने और रिश्ते,भावनाए आदि शामिल हैं।

इस साइट पर लगभग मेरे जीवन से जुड़ा हर अनुभव ब्लॉग के तौर पर या यू कह सकते है मोटिवेशनल ब्लॉग के तौर पर मैने डाल रखे है और आगे भी इसे जारी रखूंगा। मैने ये सिर्फ खुद से नही सीखा है , बल्की आसपास होने वाली घटनाएं या चर्चाएं भी मेरे अनुभव को बेहतर बनाती है क्योंकि मैं हर बात पर चिंता के बदले घोर चिंतन करता हु ताकी उसे समझ सकू ,इसलिए इसमें सभी उम्र के पाठकों के लिए उनके काम आने लायक कुछ न कुछ  सुझाव शामिल हैं।

 

जब आप याद रखते हैं कि आप कभी अकेले नहीं हैं, तो इस दुनिया में आप जो बनना चाहते हैं, वह बनना बहुत आसान है। हम सभी इसमें एक साथ हैं, और हम सभी के पास सिखाने के लिए कुछ होता जरूर है और सीखने के लिए सारी उम्र भी कम आकी जाति है।

अब बात करेंगे स्वार्थी होने की

देखिए मनुष्य की कमजोरियों में एक कमजोरी ये भी मानी जाती है, उसका स्वार्थ

कोई मनुष्य जब स्वार्थी होता है तब वह सिर्फ अपने निजी फायदे के बारे में ही नही सोचता है सिर्फ बल्की उसे दूसरे के फायदे से परेशानी भी होने लग जाती है भले ही वे उसकी सफलता की तुलना मे कुछ न हो फिर भी ऐसा होता है क्योंकि स्वार्थी मनुष्य के भीतर ईर्ष्या खुद ब खुद जन्म लेती है।

इसकी वजह से जिस व्यक्ति से जुड़ने पर या उसके साथ मिल कर काम करने पर हमारा फायदा होस्कता है वो भी हमे नही मिल पाता है।

क्योंकि ईर्ष्या से अहंकार जन्म लेता है, और अपने उसी अहंकार की वजह से आप सबसे दूर होते चले जाते है

इसलिए पहले  समझना जरूरी है की हमे हमारा चरित्र निर्माण कैसा करना चाहिए। इसके लिए मैने एक ब्लॉग अलग से लिखा है जिसका नाम ही चरित्र निर्माण है।

 इसे हम बेहतर कैसे बना सकते है, क्योंकि बड़ी बड़ी बाते तो कोई भी कह सकता है लेकिन उसे अपने जीवन मे लागू करना बड़ी चीज है

इसलिए याद रखना जरूरी होता है की व्यक्तित्व विकास में चरित्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह किसी को आंतरिक तौर पर स्व को विकसित करने और एक अच्छा इंसान बनने के बारे में भी है। इसलिए किसी और से अधिक, आप स्वयं के प्रति जवाबदेह बने, ऐसा कुछ भी न करें जिसके बारे में आप स्वयं आश्वस्त न हों

अंत मे मै कहना चाहूंगा की

आप अच्छाई और बुराई दोनो को बराबर साथ लेकर चले

याद रखिए अगर आप बहुत अच्छे हैं तो आप भेड़ के समान है और भेड़ों के साथ कोई भी दुर्वेवहार करने से पूर्व विचार करना आवस्यक नही समझता क्योंकि उसे पता होता है की ये कुछ नही करपाएगा। इसे एक सलाह समझे हमारे शरीर मे हर चीज के लगभग दो हिस्से देखे जा सकते हैं जैसे आंख, कान, हाथ, पाव,दिमाग भी

लेकिन दिल केवल एक होता है इसलिए कहा जाता है दिल का कोई बुरा नही होता क्योंकि मैं पूरे शरीर को दो हिस्सो मे बाटने की बात कर रहा हु तो बेहद ध्यान से पढ़िए

 

अब ध्यान दीजिए खुद के दाहिने और बाए हिस्से की खूबियों  पे

कभी अगर किसी पर हाथ उठाते है तो ज्यादातर लोग दाहिना हाथ पहले क्यों चलाते हैं?

क्योंकि हमारा दिल बाए तरफ होता है और दिल तो बुरा होता ही नही है न तो इसलिए किसी को चोट पहुंचाने के लिए सबसे पहले हम अपने शरीर के उस भाग का इस्तेमाल करते हैं जो बुरा है या यू कहे जिसके पास दिल नही है।

इस पूरे शरीर की संरचना को ध्यान से समझने पर पता चलता है की ऊपर वाले ने हमे सबकुछ दो इसलिए दिया है ताकि हम हर चीज का संतुलन बना सके।

उदाहरण के लिए सीधा हम तभी चल्पाएंगे जब हमारे दोनो पैर संतुलित हो

बिलकुल उसी तरह से जीवन मे अच्छाई और बुराई को संतुलित करना चाहिए अपने एक भाग मे प्रेम मासूमियत सबका हित रखे सबका भला सोचे और करे

और जब आपको कोई किसी भी प्रकार से हानि पहुंचाने का प्रयास करे तो अपने दाहिने भाग को आजादी दे। ऐसी स्थिति मे आपको केवल वही उदाहरण पर काम करना होता है जिसमे कहा गया है की लोहा लोहे को काटता है,

अगर मंजिल तक पहुंचना है तो रास्ते की ठोकरों से संभल कर पार भी होना होगा और समाज द्वारा बिछाए गए काटो को कुचला भी होगा। और ये तभी संभव है जब आप अच्छाई और बुराई दोनो साथ लेकर उनका ताल मेल बैठा कर चलना सीखे।

 

धन्यवाद 🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳जय हिन्द

 

 

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